नरेंद्र मोदी ने लॉन्च किया ज्ञान भारतम् पोर्टल

उद्देश्य एवं महत्व

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज शुक्रवार को ज्ञान भारतम पोर्टल का शुभारंभ किया। इस पोर्टल का उद्देश्य भारत की प्राचीन पांडुलिपियों को डिजिटाइज कर संरक्षित करना और उन्हें आधुनिक शोध तथा तकनीकी विकास से जोड़ना है। इस मौके पर पीएम मोदी ने कहा कि इतिहास के क्रूर थपेड़ों में लाखों पांडुलिपियां नष्ट हो गईं, लेकिन भारत के पास अब भी दुनिया का सबसे बड़ा पांडुलिपि संग्रह है, जिसकी संख्या लगभग एक करोड़ है।

“नरेंद्र मोदी ने लॉन्च किया ज्ञान भारतम् पोर्टल

पीएम मोदी ने बताया कि ज्ञान भारतम मिशन न केवल अतीत को संरक्षित करेगा बल्कि भविष्य के लिए नए अवसर भी खोलेगा। उन्होंने कहा कि प्राचीन पांडुलिपियों का डिजिटाइजेशन एक विशाल डेटा बैंक तैयार करेगा, जो तकनीकी शोध, नवाचार और नई खोजों के लिए आधार बनेगा। उन्होंने यह भी बताया कि विश्व का सांस्कृतिक और क्रिएटिव इंडस्ट्री क्षेत्र लगभग 2.5 ट्रिलियन डॉलर का है, और भारत की पांडुलिपियां इस क्षेत्र में नई संभावनाएं जोड़ सकती हैं।

पीएम मोदी ने विश्वविद्यालयों और शोध संस्थानों से भी आग्रह किया कि वे इस दिशा में नए कदम उठाएं। उन्होंने कहा कि पूरा देश स्वदेशी की भावना और आत्मनिर्भर भारत के संकल्प के साथ आगे बढ़ रहा है, और ज्ञान भारतम् मिशन भी इसी राष्ट्रीय भावना का विस्तार है। उन्होंने कहा कि भारत को अपनी धरोहर को अपनी ताकत का प्रतीक बनाना होगा और यह मिशन भविष्य के लिए एक नया अध्याय साबित होगा।

चुनौतियाँ एवं संभावनाएँ


चुनौतियाँ

भौतिक स्थिति व नष्ट होने का डर: कुछ पांडुलिपियाँ बहुत नाजुक हैं, ख़राब हालत में हैं। उन्हें संभालना कठिन है।

भाषा एवं लिपि ज्ञान: कई पांडुलिपियाँ ऐसी लिपियों/भाषाओं में हैं जिनका अध्ययन कम है, या पारंपरिक विद्वानों की संख्या घट रही है।

मानकीकृत मेटाडेटा एवं शोध मानक: डेटा का उपयोग तभी सटीक होगा जब उसका मेटाडेटा (लेखक, समय, विषय, विषय-विवरण आदि) विश्वसनीय हो।

स्व-रोजगार/अनुदानों की आवश्यकता: डिजिटलीकरण व संरक्षण कार्य में संसाधन (टेक्नोलॉजी, मानव शक्ति, वित्त) चाहिए।

संभावनाएँ

शोध एवं शिक्षा में गति: शोधकर्ता, विद्यार्थी, विद्वान इन ग्रंथों की पहुँच से नई खोज/अनुसंधान कर सकेंगे।

संस्कृति पर्यटन एवं वैश्विक स्वरूप: भारत की ज्ञान परंपरा विश्व स्तर पर उजागर होगी, सांस्कृतिक कूटनीति मजबूत होगी।

स्थानीय भाषाओं का पुनरूत्थान और उपयोग: भाषाएँ जिनमें पांडुलिपियाँ हैं, उनका पुनरावलोकन होगा।
नवीन टेक्नोलॉजी जैसे AI, OCR आदि का इस्तेमाल: पांडुलिपियों की डिजिटाइजेशन में मशीन लर्निंग, OCR, डिजिटल इमेजिंग आदि तकनीकों से काम करना संभव है

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