सुनामी (Tsunami)


सुनामी समुद्र की लहरों की एक श्रृंखला होती है जो किसी बड़े भूकंप, ज्वालामुखी विस्फोट, समुद्र के नीचे भूस्खलन या उल्कापिंड के गिरने के कारण उत्पन्न होती है। इन लहरों की गति बहुत तेज़ होती है और जब ये तटीय क्षेत्रों से टकराती हैं, तो भारी तबाही मचा देती हैं। सुनामी एक जापानी शब्द है जिसका अर्थ है 'बंदरगाह लहर' ({tsu} का अर्थ है बंदरगाह और {nami} का अर्थ है लहर)।
1. सुनामी
कारण (Causes of Tsunami) सुनामी का मुख्य कारण समुद्र के पानी का अचानक और बड़े पैमाने पर ऊर्ध्वाधर (Vertical) विस्थापन है। इसके प्रमुख कारण ये हैं:

समुद्र के नीचे भूकंप (Submarine Earthquakes):
यह सुनामी का सबसे आम कारण है। जब समुद्री प्लेटें (Tectonic Plates) एक दूसरे के नीचे जाती हैं (सबडक्शन ज़ोन), और अचानक टूट जाती हैं, तो समुद्र तल ऊपर या नीचे खिसक जाता है। इससे पानी की एक विशाल मात्रा विस्थापित होकर सुनामी लहरों का निर्माण करती है।

ज्वालामुखी विस्फोट (Volcanic Eruptions): समुद्र के नीचे या तटीय क्षेत्रों के पास शक्तिशाली ज्वालामुखी विस्फोट से भी पानी बड़ी मात्रा में विस्थापित होता है।

भूस्खलन (Landslides): तट पर या समुद्र के नीचे बड़े पैमाने पर भूस्खलन होने से भी भारी मात्रा में मलबा समुद्र में गिरता है, जिससे सुनामी लहरें पैदा होती हैं।

उल्कापिंड का गिरना (Meteorite Impact): यद्यपि यह बहुत दुर्लभ है, समुद्र में किसी बड़े उल्कापिंड के गिरने से भी सुनामी लहरें उत्पन्न हो सकती हैं।

2. सुनामी लहरों की विशेषताएँ
गहरे समुद्र में: सुनामी की लहरें गहरे समुद्र में बहुत ऊँची नहीं होती हैं (अक्सर केवल
कुछ फीट), लेकिन इनकी गति (Velocity) बहुत अधिक होती है, जो जेट विमान की गति के बराबर (लगभग 800 किलोमीटर प्रति घंटा) हो सकती है।

तट के पास: जब ये लहरें उथले तटीय जल में प्रवेश करती हैं, तो उनकी गति कम हो जाती है, लेकिन उनकी ऊँचाई (Amplitude) कई मीटर तक बढ़ जाती है, जिससे ये विनाशकारी रूप ले लेती हैं।

लहरों का क्रम: सुनामी एक अकेली लहर नहीं होती है; यह लहरों की एक श्रृंखला होती है। पहली लहर के बाद अक्सर सबसे बड़ी और सबसे खतरनाक लहरें आती हैं, जो घंटों तक जारी रह सकती हैं।

3. सुनामी का प्रभाव (तटीय क्षेत्रों पर प्रभाव)
बुनियादी ढाँचे का विनाश: सुनामी की लहरें घर, पुल, सड़कें, बंदरगाह और बिजली ग्रिड जैसे बुनियादी ढाँचों को पूरी तरह नष्ट कर देती हैं।

कृषि और जल प्रदूषण: खारे समुद्र का पानी फसलों और कृषि भूमि को प्रदूषित कर देता है, जिससे लंबे समय तक खेती करना मुश्किल हो जाता है। पीने योग्य जल स्रोत भी दूषित हो जाते हैं।

पारिस्थितिक क्षति: मैंग्रोव वन और कोरल रीफ जैसी तटीय पारिस्थितिकी प्रणालियाँ क्षतिग्रस्त हो जाती हैं, जो तटीय रक्षा के लिए प्राकृतिक बाधाएँ होती हैं।

जीवन और आजीविका की हानि: सबसे गंभीर प्रभाव मानव जीवन की हानि और मछुआरों व अन्य तटीय निवासियों की आजीविका (मछली पकड़ना, पर्यटन) का समाप्त होना होता है।

सुनामी के दीर्घकालिक प्रभाव (Long-term Impacts)
सुनामी के प्रभाव केवल तात्कालिक नुकसान तक सीमित नहीं होते, बल्कि ये समुदायों को लंबे समय तक प्रभावित करते हैं:
आजीविका की हानि: मछली पकड़ने की नावें और जाल नष्ट हो जाते हैं, जिससे मछुआरों की आजीविका पर गहरा असर पड़ता है।

कृषि और पर्यावरण: तटीय क्षेत्रों में खारा पानी भरने से कृषि भूमि कई वर्षों तक बंजर हो जाती है। मैंग्रोव वन और मूंगा चट्टानें (Coral Reefs) क्षतिग्रस्त हो जाते हैं, जो तटीय पारिस्थितिकी तंत्र के लिए महत्वपूर्ण होते हैं।

सामाजिक-आर्थिक विस्थापन: लोगों का विस्थापन होता है, पुनर्वास की आवश्यकता होती है, और गरीबी तथा सामाजिक तनाव बढ़ सकता है।
4. सुनामी का खतरा (Tsunami Threat)  भौगोलिक संवेदनशीलता: भारत की लगभग 7,516 किलोमीटर लंबी तटरेखा है, जिसमें से लगभग 5,700 किलोमीटर हिस्सा चक्रवातों और सुनामी से प्रभावित है।
संभावित उत्पत्ति क्षेत्र (Tsunami Prone Areas): भारत के पूर्वी और पश्चिमी तटों के साथ-साथ द्वीप क्षेत्रों के लिए सुनामी उत्पन्न करने वाले पाँच संभावित क्षेत्र पहचाने गए हैं: o अंडमान-निकोबार एवं सुमात्रा द्वीप आर्क o इंडो-बर्मीज़ जोन o नैसेंट सीमा (मध्य हिंद महासागर में) o चागोस द्वीपसमूह o मकरान सबडक्शन क्षेत्र
उच्च जोखिम वाले तटीय क्षेत्र: भारत के कई तटीय राज्य और क्षेत्र सुनामी के प्रति संवेदनशील हैं, जिनमें शामिल हैं:
o पूर्वी तट: तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, ओडिशा, पुदुचेरी। (जैसे: चेन्नई, काकीनाडा, पुरी, कुड्डालोर) o द्वीप क्षेत्र: अंडमान और निकोबार द्वीप समूह (सर्वाधिक संवेदनशील)। o पश्चिमी तट: केरल (जैसे: अलप्पुझा-चवारा, कोच्चि)।
5. प्रमुख सुनामी आपदा (Major Tsunami Disaster)

2004 हिंद महासागर सुनामी:
26 दिसंबर 2004 को इंडोनेशिया (सुमात्रा) के पास 9.1 से 9.3 मेगावॉट तीव्रता के भूकंप से आई इस सुनामी ने भारत सहित 14 देशों में भारी तबाही मचाई थी।
o प्रभाव: भारत में अनुमानित 18,000 से अधिक लोगों की मौत हुई। तमिलनाडु, केरल, आंध्र प्रदेश और अंडमान-निकोबार द्वीप समूह सबसे अधिक प्रभावित हुए थे।
o कारण: यह भूकंप भारतीय प्लेट और बर्मा माइक्रो प्लेट के बीच 1200 किलोमीटर की फॉल्ट लाइन के टूटने से हुआ था। लहरों की रफ्तार 800 किलोमीटर प्रति घंटे से अधिक थी।
o सीख: इस त्रासदी ने भारत को आपदा प्रबंधन के प्रति एक प्रतिक्रियाशील (Reactive) दृष्टिकोण से प्रोएक्टिव (Proactive) दृष्टिकोण की ओर बढ़ने के लिए मजबूर किया।

1945 मकरान सुनामी:
यह भारत के पश्चिमी तट (गुजरात और मुंबई) को प्रभावित करने वाली एक बड़ी घटना थी, जिसने तटीय समुदायों में भारी नुकसान पहुंचाया था।

6. सुनामी चेतावनी प्रणाली (Tsunami Warning System)

2004 की आपदा के बाद, भारत ने एक उन्नत सुनामी चेतावनी प्रणाली विकसित की है:
इंडियन सुनामी अर्ली वार्निंग सेंटर (ITEWC): इसकी स्थापना इंडियन नेशनल सेंटर फ़ॉर ओशन इन्फ़र्मेशन सर्विसेज (INCOIS), हैदराबाद में की गई थी।

स्थापना: ITEWC को 2007 में स्थापित किया गया था। भारत ने अंतर्राष्ट्रीय सुनामी चेतावनी प्रणाली को 2006 में अपनाया था।

कार्य: यह पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के तहत एक स्वायत्त निकाय है जो समुद्री भूकंपों, जल स्तर में बदलाव और सुनामी मॉडल के आधार पर सुनामी की संभावना का विश्लेषण करता है और हितधारकों को समय पर चेतावनी जारी करता है।

क्षेत्रीय सेवा प्रदाता: ITEWC को UNESCO ने हिंद महासागर क्षेत्र के 28 तटीय देशों के लिए क्षेत्रीय सुनामी सेवा प्रदाता के रूप में मान्यता दी है, जो इसकी विश्वसनीयता को दर्शाता है।

वर्तमान स्थिति: INCOIS के अनुसार, 2004 की तुलना में भारत वर्तमान में सुनामी के खतरे से निपटने के लिए अधिक सुरक्षित और तैयार है।
7. सुनामी के दौरान व्यक्तिगत सुरक्षा के उपाय
तेज भूकंप: अगर आप समुद्र तट पर हैं और इतना तेज भूकंप महसूस करते हैं कि खड़े रहना मुश्किल हो जाए, तो तुरंत ऊँचे स्थान पर चले जाएँ।

समुद्र का अचानक पीछे हटना: अगर समुद्र तट से पानी असामान्य रूप से और तेजी से पीछे हट जाए, जिससे समुद्री तल या चट्टानें दिखाई दें, तो यह पहली सुनामी लहर आने का संकेत है। तुरंत भागें!

सरकारी चेतावनियों पर ध्यान दें:
o ITEWC/INCOIS या स्थानीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा जारी की गई चेतावनियों पर तुरंत ध्यान दें। o रेडियो/टीवी या मोबाइल अलर्ट पर नज़र रखें। o तुरंत सुरक्षित स्थान पर जाएँ। o चेतावनी मिलते ही या प्राकृतिक संकेत देखते ही, बिना किसी देरी के, जितनी जल्दी हो सके तट से दूर ऊँचे स्थान की ओर भागें।

यदि ऊँचाई पर जाना संभव न हो, तो तट से अंदर की ओर (Inland) जितनी दूर हो सके, जाएँ।

ऊँचे और मजबूत भवन:
यदि भागना संभव न हो, तो किसी मल्टी-स्टोरी (बहुमंजिला) कंक्रीट भवन की सबसे ऊपरी मंजिल पर शरण लें।

कभी वापस न जाएँ: पहली लहर शांत होने के बाद भी समुद्र तट पर वापस न जाएँ, क्योंकि सुनामी में कई लहरें होती हैं और बाद की लहरें अक्सर सबसे बड़ी होती हैं।
अधिकारियों द्वारा 'ऑल क्लियर' (All Clear) की घोषणा किए जाने तक सुरक्षित स्थान पर ही रहें।
सुरक्षा के लिए तैयारी और समय पर प्रतिक्रिया ही सबसे महत्वपूर्ण है।

नगालैंड का हॉर्नबिल महोत्सव: संस्कृति, परंपराएँ और पर्यटन

हॉर्नबिल महोत्सव – नगालैंड परिचय भारत के प्रधानमंत्री ने हॉर्नबिल महोत्सव के 25 वर्ष पूर्ण होने पर नगालैंड के लोगों को शुभकामनाएँ दी हैं। नगालैंड

Read More »

संचार साथी ऐप: आपकी डिजिटल सुरक्षा का नया पहरेदारसंचार साथी ऐप

संचार साथी ऐप: आपकी डिजिटल सुरक्षा का नया पहरेदार भारत सरकार ने डिजिटल सुरक्षा को और मजबूत बनाने के लिए बड़ा कदम उठाया है। डिपार्टमेंट

Read More »

कॉमनवेल्थ गेम्स 2030 (Commonwealth 2030)

कॉमनवेल्थ गेम्स 2030: भारत को मिली मेजबानी, खिलाड़ियों के खिले चेहरे — बोले, “अब देश का सितारा चमकेगा” Commonwealth Games 2030: भारत को कॉमनवेल्थ गेम्स

Read More »

Our Latest Blog

Welcome to Aagaaz Institute! You’ve taken the first step towards your MPPSC success. Let’s begin this journey together."