राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020(Education policy)

भारत में नई शिक्षा नीति

नई शिक्षा नीति क्या है?

भारत सरकार ने वर्ष 2020 में शिक्षा पर एक व्यापक सुधार रिपोर्ट प्रस्तुत की। शिक्षा क्षेत्र में किए गए इन नए सुधारों का मुख्य उद्देश्य आलोचनात्मक सोच (Critical Thinking), रचनात्मकता (Creativity)और समस्या समाधान (Problem-Solving) जैसी क्षमताओं को विकसित करना है। यह नीति मूलभूत कौशलों (Foundational Skills) को सशक्त बनाने की आवश्यकता पर भी विशेष जोर देती है। इस प्रकार, नई शिक्षा नीति (New Education Policy) एक लचीले और बहु-विषयक (Flexible and Multidisciplinary) दृष्टिकोण की परिकल्पना करती है, जिसमें **मूलभूत साक्षरता (Foundational Literacy) पर विशेष बल दिया गया है।


भारत में नई शिक्षा नीति की आवश्यकता क्यों पड़ी?

नई शिक्षा नीति की आवश्यकता इसलिए पड़ी क्योंकि पुराना पाठ्यक्रम, जो 1986 के नियमों पर आधारित था, अब कठोर (Rigid) और पुराने ढर्रे का (Outdated) हो चुका था। परीक्षाएँ केवल रटने (Rote Learning) पर केंद्रित थीं, जिससे विद्यार्थी वास्तविक जीवन में ज्ञान का उपयोग करने के बजाय केवल याद करने तक सीमित रह जाते थे।

पुरानी शिक्षा नीति की कुछ प्रमुख कमियाँ निम्नलिखित थीं —

कौशल की कमी (Skills Gap):
विद्यार्थी कार्यक्षेत्र में बहुत सीमित तकनीकी और व्यावहारिक कौशल (Technical Skills) के साथ प्रवेश करते थे, जिससे उनकी रोज़गार क्षमता (Employability) कम हो जाती थी।

वैश्विक प्रतिस्पर्धा (Global Competition):
अन्य देशों के विद्यार्थी समग्र शिक्षा प्रणाली (Holistic Learning System) से पढ़कर आगे बढ़ रहे थे, जबकि भारत में ऐसा दृष्टिकोण अनुपस्थित था।

सीखने के स्तर में गिरावट (Decreased Learning Levels):

वार्षिक शिक्षा स्थिति रिपोर्ट (ASER 2018) के अनुसार विद्यार्थियों के पढ़ने और सीखने के स्तर में निरंतर गिरावट देखी गई, जिसके कारण शिक्षा प्रणाली में सुधार आवश्यक हो गया।

🎓 नई शिक्षा नीति की प्रमुख विशेषताएँ (New Features in the Education Policy)

नई शिक्षा नीति (NEP 2020) में बहु-विषयक शिक्षा (Multidisciplinary Studies) और कौशल-आधारित मूल्यांकन (Competency-Based Assessment) को बढ़ावा दिया गया है। इसके मुख्य बिंदु निम्नलिखित हैं —

प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा (Early Childhood Care and Education):

बच्चों के लिए खेल और गतिविधि-आधारित शिक्षा (Play & Activity-Based Learning) पर जोर दिया गया है, जिससे उनकी मूलभूत सीखने की क्षमता (Foundational Learning) विकसित हो सके।

बहुभाषी शिक्षण (Multilingual Instruction):

प्रारंभिक वर्षों में शिक्षा मातृभाषा या स्थानीय भाषा में दी जाएगी ताकि बच्चे बेहतर तरीके से समझ सकें।

मूलभूत साक्षरता और गणनाक्षमता (Foundational Literacy and Numeracy):
सभी छात्रों को कक्षा 3 तक पढ़ने और गणना करने की क्षमता विकसित करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

सर्वजन शिक्षा तक पहुँच (Ensuring Universal Access):
प्री-स्कूल से लेकर माध्यमिक स्तर (Secondary Level) तक 100% नामांकन (Enrollment) सुनिश्चित करने का लक्ष्य रखा गया है।

विद्यालयी पाठ्यक्रम में सुधार (School Curriculum Reform):
नया 5+3+3+4 ढांचा (Structure) लागू किया गया है, जिसके अंतर्गत विद्यार्थियों को नए विषयों और कौशलों को सीखने का अवसर मिलेगा।

नियामक प्रणाली में परिवर्तन (Transforming the Regulatory System):
उच्च शिक्षा के लिए एक एकल नियामक संस्था (Single Regulator) बनाई जाएगी, जो सभी बहु-विषयक विश्वविद्यालयों और कॉलेजों का संचालन देखेगी।

वयस्क शिक्षा और आजीवन सीखना (Adult Education and Lifelong Learning):
नीति में ऑनलाइन, सामुदायिक पाठ्यक्रमों और कार्यक्रमों के माध्यम से जीवनभर शिक्षा (Lifelong Learning) को प्रोत्साहित किया गया है।

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